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7 Jan 2025 · 1 min read

व्यर्थ में

गीतिका
~~~~
व्यर्थ में ही नहीं रूठ जाया करो।
और कुछ बात मन की सुनाया करो।

जब कभी चाह मन में मिलन की जगे।
शीघ्र अपने कदम तुम बढ़ाया करो।

फूल खिलते हुए देखकर तुम स्वयं।
भावना स्नेह की शुभ जगाया करो।

व्यस्त जीवन बहुत कीमती है यहां।
वक्त खुद के लिए भी बचाया करो।

मत करें आज संदेह हर बात पर।
आवरण है वहम का हटाया करो।
~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 77 Views
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