Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2017 · 2 min read

द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत

कार्तिक वदी चतुर्थी के दिन रखे जाने वाले व्रत का नाम ‘करवाचौथ’ है। यह भारतीय स्त्रियों का मुख्य त्यौहार है। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां पति की रक्षार्थ परमपिता परमेश्वर का ध्यान करती हैं, दुआएँ मांगती हैं। दिनभर निराहार और निर्जला व्रत रखते हुए सायंकाल को सोलह शृंगार कर, घर में पूड़ी पकवान बना, अपने नजदीक के मंदिर में जाती है और वहां देव-अर्चना करती हैं। रात्रि में अपने घर एक पटे पर बैठकर जल से भरा हुआ लोटा रखती हैं। मिट्टी या खांड के करवे पर बायना काढ़ा जाता है। करवे में गेंहू, रोली, चीनी और रुपया रख उसे टक्कन से बन्द कर दिया जाता है। इसके बाद गेंहू के तेरह दाने लेकर गणेश पूजन के उपरांत व्रत की कहानी सुनायी जाती है। कहानी सुनने या सुनाने के बाद करवे पर हाथ फेरकर पानी का लोटा अलग रख दिया जाता है। इसके उपरांत सास के चरण स्पर्श कर ‘सदा सुहागन’ का आशीर्वाद लिया जाता है। रात्रि बेला में चन्द्रमा के प्रकट होने पर चन्द्रदर्शन किया जाता है और चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। इसके उपरांत स्त्रियां अपने-अपने पति के साथ प्रेमपूर्वक भोजन करती हैं।
एक बार पाण्डु पुत्र अर्जुन तपस्या करने के लिए नीलगिरि नामक पर्वत पर चले गये। इधर पांडवों पर अनेक विपत्तियां आने लगीं। द्रौपदी ने शोकाकुल होते हुए भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण किया। श्रीकृष्ण द्रौपदी की पुकार सुन वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने द्रौपदी को इस समस्या के निवारण हेतु करवाचौथ का व्रत रखने को कहा। उन्होंने बतलाया कि विपत्ति के समय ‘करवाचौथ’ के व्रत की महत्ता भगवान शिव ने पार्वती को भी समझायी थी। यह कहकर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को प्राचीनकाल के एक गुणी, धर्मपरायण ब्राह्मण की कथा सुनायी। श्रीकृष्ण बोले-‘‘ हे पांचाली! प्राचीन काल में एक ब्राह्मण के चार पुत्र और एक सुशीला पुत्री थी। पुत्री के विवाहित होने पर करवा चतुर्थी के दिन उस ब्राह्मण की पुत्री ने व्रत रखा। परन्तु व्रत के दौरान चन्द्रोदय से पूर्व ही वह क्षुधा से इतनी पीडि़त हुई कि उसने अपने दयालु भाइयों द्वारा बनाये गये नकली चाँद के दर्शन कर भोजन कर लिया। भोजन करते ही उसके पति का देहांत हो गया। इससे दुःखी हो उसने अन्न-जल का त्याग कर दिया। उसी रात इन्द्राणी देवी भू विचरण करने आयीं। ब्राह्मण कन्या को रोते-विलखते देख इन्द्राणी ने उसे उपाय बताया कि यदि तू पुनः विधिवत रूप से करवा चौथ का व्रत रखेगी तो तेरा पति जीवित हो जायेगा। ब्राह्मण कन्या ने वर्ष भर प्रत्येक चतुर्थी पर व्रत रखा और उसका पति जीवित हो गया।’’
भगवान श्रीकृष्ण की इस कथा को सुन द्रौपदी ने भी करवाचौथ के दिन विधिविधान से व्रत रखा तो पांडवों पर आयी समस्त विपत्तियां एक-एक कर किनारा कर गयीं। यही नहीं उसी दिन उसके पति अर्जुन भी सकुशल घर लौट आये।
———————————————————-
सम्पर्क- 15/109, ईसानगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
423 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मैंने बहुत कोशिश की,
मैंने बहुत कोशिश की,
पूर्वार्थ देव
कोरोना
कोरोना
विशाल शुक्ल
🙅वक़्त का तक़ाज़ा🙅
🙅वक़्त का तक़ाज़ा🙅
*प्रणय प्रभात*
गुलमोहर के लिए
गुलमोहर के लिए
Akash Agam
साथ तेरा मिलता
साथ तेरा मिलता
Chitra Bisht
अजीब सी चुभन है दिल में
अजीब सी चुभन है दिल में
हिमांशु Kulshrestha
न हम नजर से दूर है, न ही दिल से
न हम नजर से दूर है, न ही दिल से
Befikr Lafz
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
Shweta Soni
महाकवि 'भास'
महाकवि 'भास'
Indu Singh
💗 चाँद कहूं तो छुप जाओगे 💗
💗 चाँद कहूं तो छुप जाओगे 💗
Rituraj shivem verma
बाल कविता : रेल
बाल कविता : रेल
Rajesh Kumar Arjun
"परिस्थिति विपरीत थी ll
पूर्वार्थ
भारत माता रुदन करती
भारत माता रुदन करती
कविराज नमन तन्हा
मैं अंधभक्त हूं।
मैं अंधभक्त हूं।
जय लगन कुमार हैप्पी
माँ
माँ
Nitesh Shah
कुर्बतों में  रफ़ाकत   थी, बहुत   तन्हाइयां थी।
कुर्बतों में रफ़ाकत थी, बहुत तन्हाइयां थी।
दीपक झा रुद्रा
दोष किसे दें
दोष किसे दें
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
मातृशक्ति
मातृशक्ति
Sanjay ' शून्य'
क्या अपने और क्या पराए,
क्या अपने और क्या पराए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*शिक्षा-संस्थाओं में शिक्षणेतर कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूम
*शिक्षा-संस्थाओं में शिक्षणेतर कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूम
Ravi Prakash
"कोशिशो के भी सपने होते हैं"
Ekta chitrangini
उदास
उदास
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कान्हा वापस आओ
कान्हा वापस आओ
Dr Archana Gupta
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
देखो आसमान जमीन पर मिल रहा है,
देखो आसमान जमीन पर मिल रहा है,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
" सुनो "
Dr. Kishan tandon kranti
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
विधाता छंद
विधाता छंद
Rambali Mishra
दोहा पंचक. . . . करवाचौथ
दोहा पंचक. . . . करवाचौथ
sushil sarna
Loading...