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21 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

करो पहचान ख़ुद की तुम सजाओ बाद में सपने
नहीं पूरे कभी होते किसी की दाद में सपने/1

तरीक़ा जोश होना होश देता कामयाबी है
मिले शोहरत सुनो यारों लगें फिर नाद में सपने/2

मुहब्बत आदमी से तो नहीं देखी यहाँ पद से
भरें हैं स्वार्थ के मद में यहाँ उन्माद में सपने/3

हँसाओ तुम किसी रोते हुऐ को देखिएगा फिर
कोई लेता मिलेगा नित तुम्हारी याद में सपने/4

कभी धोखा सिखाता है कभी मौका सिखाता है
वफ़ा हर दौर की देती ज़ुदा बन शाद में सपने/5

नहीं दो दोष छल को तुम सितारा बन चमक जाओ
अँधेरे ख़ुद झुकेंगे ले यहाँ अरदास में सपने/6

कभी शबनम कभी शोला बनो ‘प्रीतम’ सुझाते हैं
लचीलापन हँसाता है अदा कर राद में सपने/7

आर.एस.’प्रीतम’

Language: Hindi
79 Views
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