भारत माता रुदन करती
ये मुल्क अमन का पयार्य कभी था
अब हिंसक क्यूँ होता जाय
गाँधी बुद्ध का ये अध्याय कभी था
अब दहशत क्यूँ होता जाय
क्यूँ ऐसे हैं हुक्मरान जो
बीज बो रहे नफरत के
देश बटाँ है कौम कौम में
जीते जीवन जिल्लत के
विकास नाम पर ठेंगा देते
भू मरघट क्यूँ होता जाय
गाँधी बुद्ध का ये अध्याय कभी था
अब दहशत क्यूँ होता जाय
हिन्दू को अब धर्म यूँ सूझी
जैसे पहले धरम न था
मुस्लिम को यूँ मज़हब सूझा
जैसे पहले हरम न था
ये बस नेता की चालाकी
सबकुछ चौपट होता जाय
गाँधी बुद्ध का ये अध्याय कभी था
अब दहशत क्यूँ होता जाय
इतनी गहरी हुई दरारें
जो भरकर भी ना भरती
अपने पुत्रो के कुकृत्य से
भारत माता रुदन करती
इन नेताओं को शूली टाँगो
इनसे उल्फत क्यूँ होता जाय
गाँधी बुद्ध का ये अध्याय कभी था
अब दहशत क्यूँ होता जाय