एक ही ज़िंदगी में कई बार मरते हैं हम!
"हमें कहा मालूम था कि इश्क़ होता क्या है !
" चले आना "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तुम्हारा मन दर्पण हो,वत्स
कुछ मुकाम पाने है तो काफी कुछ छोड़ने का साहस दिखाना होगा। क्
" अब कोई नया काम कर लें "
नवम पहचान, कमल पर बैठी माता ।
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'