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17 Feb 2024 · 1 min read

आजादी /कृपाण घनाक्षरी

आजादी /कृपाण घनाक्षरी

भारत अब आजाद ,धन जन से आबाद,
करलो वो दिन याद ,सत्ता विदेशियों हाथ ।
सपूतों का बलिदान, किये न्योछावर प्रान,
करें सबका सम्मान ,अमर वीरों के साथ ।
बलिदानियों की गाथा ,सुन झुक जाता माथा ,
दुश्मन को ऐसा नाथा,देश भारत सनाथ।।
अब बारी है हमारी,सुरक्षा व रखवारी,
सेवा व समझदारी ,आम जनता के हाथ।
@आपदा
कष्टदायक है सदा,प्राकृतिक जो आपदा,
अनहोनी ही सर्वदा,सूझता नहीं उपाय।
रोग बने महामारी,सूखा बाढ भयकारी,
भू गर्भ की बमबारी,इनसे राम बचाय।
मानवीय गलती से,शोषण व दोहन से,
प्रकृति के विरोध से,मानव ही पछताय ।
आपदा आवे जैसी भी,दुःखी होते जीव सभी,
आपदा न आवे कभी ,हरि प्रार्थना सहाय।

राजेश कौरव सुमित्र

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