ब निगाहें करम मुस्कुरा दो तुम(नज़्म)
प्रीति रीति देख कर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
लाल दास कृत मिथिला रामायण मे सीता।
*अभिनंदन डॉक्टर तुम्हें* (कुंडलिया)
इसी साहस की बात मैं हमेशा करता हूं।।
किसी ने कहा, पीड़ा को स्पर्श करना बंद कर पीड़ा कम जायेगी।
अब तो चले आओ कि शाम जा रही है।
जो अपने दिल पे मोहब्बत के दाग़ रखता है।
रंगों का त्योहार है होली।