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14 May 2024 · 1 min read

उठो मुसाफिर कुछ कम करो

उठो मुसाफिर कुछ काम करो ।

सूरज निकला पूरब की ओर,
आँखों में आई ताजगी की लहर,
उठो मुसाफिर नया करें कुछ काम,
कविता के रंगों से भरें जीवन के सार।

कलम पकड़ो दिल के भाव जगाओ,
शब्दों की लहरों में लहराते जाओ,
जीवन के सफर में रंग भरो संगीत से,
कविता की छांव में बैठकर गाओ।

ध्यान दो और देखो अपने चारों ओर,
चमक रही है रंगीन प्रकृति की डोर।
कविता बनाएँ और उसे दें जगह,
सबके दिलों में पनाह दे।

अगर कभी आँधी आए और
चौका दे तुम्हें,
कविता की गाथा में ढकें तुम्हें।
तो भी आगे बढ़ो और
नया इतिहास रचो
और लिखो।

अपनी कहानी,
यह कविता तुम्हारी हैं
व दुनिया भी तुम्हारी है
उठो मुसाफिर कुछ काम करो।

कार्तिक नितिन शर्मा

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