Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2024 · 2 min read

उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्

छोटी सी चिड़ीया अपने अस्तित्व को जूझती
छाया नहीं फल इतनी दूर अपेक्षा की उपेक्षा के ताड़ खजूर ।
अपनी हस्ती मस्ती सुरक्षा की संरचना करती।।

तूफान शोला शैतान से जिन्दगी के सुकून प्यार परिवार का ना हो नुकसान चिंता करती चिंता से व्याकुल हर जतन का इन्कलाब करती।
तिनका तिनका चुनती बारीक निगाहों से अपने आशियाने को बुनती।।
मज़बूत खूबसूरत तिनके तिनके में अपने सर्वोत्तम भाग्य भविष्य के दिनों का विश्वास पिरोती।।
अपने प्यार परिवार के साथ अपने श्रम करम दूर दृष्टि मज़बूत इरादों परिणाम का सुख भोगती।।
सुबह से शाम दाना चुन चुन खुद की जिन्दगी बच्चों का पेट पालती भविष्य संवारती।।
दिन महीने साल ऋतुए मौसम गुजरते जाते हर सुबह शाम नए उल्लास उमंग में बीता जाता।।
आखिर आ ही गया वो दिन जिसे दुनिया क्रूर काल कहती ।
ना कोई खास रूप रंग ना द्वेष दंभ ना घृणा ना प्रेम सिर्फ अपनी रफ्तार की अनंत यात्रा में आरंभ उत्कर्ष अंत ।।
अपने रफ़्तार की अनंत यात्रा में मिलते बिछड़ते जीवन अनेक की विरासत को समेटे ।
युगों युगों ब्रह्मांड प्रगति प्रतिष्ठा विकास विनाश का वर्तमान इतिहास ही काल।।
कभी उत्कर्ष का गवाह युग कभी युग की वेदना तड़फ छटपटाहट की गाय ।
काल ही मात्र मिशाल जो खुद की अनंत रफ़्तार की यात्रा में सुख दुख खुशी गम दर्द दिल जीवन जीव एहसास का ईश्वर गवाह।।
छोटी चिड़िया के आदि सुरक्षा संरचना विकास के अंत का समय आया मौसम बरसात ।।
बंदर महाकाल रुद्र का ही अंश आदि उत्कर्ष अंत में अंत ही उद्देश्य आया।।
सर्द का मौसम घनघोर बारिस चिड़िया अपने कर्म श्रम के मज़बूत आशियाने में जीवन की हस्ती मस्ती में झूमती ।।
काल का करिश्मा बंदर भी उसी ताड़ के पेड़ पर बरसात ठंड कि ठिठुरन से दांत किट किटाता हांफता कांपता बिवस बेवस परेशान बेहाल।।
बंदर को देख परेशान छोटी सी चिड़िया का मन व्यथित पड़ोसी पीड़ा से दुखी आहत गलती से किया बेहाल परेशान बंदर से सवाल।।
क्यों नही बनाते अपने अरमानों उम्मींदो का कर्म श्रम धर्म कर्तव्य दायित्व बोध का आशियाना?
चाहे आए आंधी या तूफान इंद्र का कोप या ज्वाला कराल सदैव ही अपने अंदाज़ कि दुनिया की जिन्दगी साम्राज्य का अभिमान।होगे ना कभी परेशान ।।
बंदर को छोटी औकात की पंक्षी की बात ना आयी रास द्वेष दंभ की क्रोध अग्नि से आहत ।
छोटी सी चिड़िया के तमाम अरमानों उम्मींदों के श्रम शक्ति की उपलब्धि हस्ती मस्ती के आशियाने को किया तार तार।।
टूटा सपनो का यथार्थ आदि उत्कर्ष का अंत काल के अनंत यात्रा में काल बंदर का कमाल।।
सुझाव उपदेश उद्देश्य विहीन के शत्रु छोटी सी चिड़िया की छोटी सी दुनिया उद्देश्य विहीन की दिशाहीन अंधेपन का शिकार ।।
काल की चाल आदि उत्कर्ष अंत की प्रक्रिया परम्परा प्रतिस्पर्धा के जीवन का युग ब्रह्मांड।।

Language: Hindi
141 Views
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all

You may also like these posts

दोहा पंचक. . . शीत शृंगार
दोहा पंचक. . . शीत शृंगार
sushil sarna
मुझे हार से डर नही लगता क्योंकि मैं जानता हूं यही हार एक दिन
मुझे हार से डर नही लगता क्योंकि मैं जानता हूं यही हार एक दिन
Rj Anand Prajapati
"New year की बधाई "
Yogendra Chaturwedi
गवर्नर संस्था
गवर्नर संस्था
Dr MusafiR BaithA
Health, is more important than
Health, is more important than
पूर्वार्थ
4576.*पूर्णिका*
4576.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" जिन्दगी की राहों में "
Dr. Kishan tandon kranti
गुरु गोविंद सिंह जयंती विशेष
गुरु गोविंद सिंह जयंती विशेष
विक्रम कुमार
आसमान का टुकड़ा भी
आसमान का टुकड़ा भी
Chitra Bisht
😢विडम्बना😢
😢विडम्बना😢
*प्रणय*
गाँव इतना छोटा है
गाँव इतना छोटा है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कपट
कपट
Sanjay ' शून्य'
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
Pramila sultan
यौवन
यौवन
Ashwani Kumar Jaiswal
- अगर ना होता पेट तो ना होती किसी से भी भेट -
- अगर ना होता पेट तो ना होती किसी से भी भेट -
bharat gehlot
अब ना देखो फिर से मिलके
अब ना देखो फिर से मिलके
Karishma Chaurasia
तो मैं राम ना होती....?
तो मैं राम ना होती....?
Mamta Singh Devaa
*पीड़ा ही संसार की सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है*
*पीड़ा ही संसार की सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है*
Ravi Prakash
इम्तिहान
इम्तिहान
AJAY AMITABH SUMAN
जग , बहरुपिए है खड़ा,
जग , बहरुपिए है खड़ा,
Radha Bablu mishra
हे मृत्यु...
हे मृत्यु...
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
ज़िंदगी का यकीन कैसे करें,
ज़िंदगी का यकीन कैसे करें,
Dr fauzia Naseem shad
ई आलम
ई आलम
आकाश महेशपुरी
अधिकतर महिलायें
अधिकतर महिलायें
लक्ष्मी सिंह
हम बच्चे
हम बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
एक अधूरे सफ़र के
एक अधूरे सफ़र के
हिमांशु Kulshrestha
अपनी कमजोरियों में ही उलझे रहे
अपनी कमजोरियों में ही उलझे रहे
Sonam Puneet Dubey
निश्छल प्रेम
निश्छल प्रेम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
एक पौधा बिटिया के नाम
एक पौधा बिटिया के नाम
Dr Archana Gupta
रुपयों लदा पेड़ जो होता ,
रुपयों लदा पेड़ जो होता ,
Vedha Singh
Loading...