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27 Oct 2024 · 1 min read

ज़िंदगी का यकीन कैसे करें,

ज़िंदगी का यकीन कैसे करें,
वक़्त को वक़्त तक नहीं देती।”

ज़िंदगी जीना सीख जाते हैं,
सीखने का जो शौक रखते हैं।”

‘जाने क्यों तुमसे हो गई दूरी,
फ़ासले जब से कम किये हमने ।”

“फ़ासला तुम से कर नहीं सकते,
दिल धड़कने का इक सबब तुम हो।”

“फासला दरमियान आने से,
मुझको अपनो से दूर कर बैठा।”

“बाहमी फासला भी लाज़िम है,
वरना मिलने में फिर मज़ा क्या है।”

“पहले से फिर कभी नहीं रहते,
गांठ रिश्तों में गरचे पढ़ जाए।”
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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