गौरैया संरक्षण

क्रन्दन गौरैया करती है,
नित राह तुम्हारी तकती है,
मुट्ठी भर दाने के खातिर,
वह व्याकुल और तड़पती है।।
कितने ऊँचे-ऊँचे घर है,
पर मेरे खातिर जगह नहीं।
मैं कहाँ बनाऊँ अपना घर,
कुछ मुझे बतायी वज़ह नहीं।।
पोस्टर, बैनर चिपकाने से,
क्या वंश मेरा बच जायेगा।
इस कंक्रीट के जंगल में,
मेरा छोटा घर बस पायेगा?
गौरैया दिवस के अवसर पर,
आओ मिलकर एक काम करें।
एक आशियाना, दाना पानी,
प्रिय गौरैया के नाम करें।।