समुन्दर से भी गंगाजल निकलेगा

कोशिश करना मत छोड़ना, कोशिश से ही तो हल निकलेगा।
कोशिश का मिलता सबको फल,हल आज नहीं तो कल निकलेगा।।
संघर्ष सफलता की कुंजी है,संघर्ष जो मन से करता है।
मेहनत उसकी रंग लायेगी बंजर भूमि से भी जल निकलेगा।।
लक्ष्य पर आँख हो अर्जुन सी,तो लक्ष्य उसको मिल जाता है।
यदि लक्ष्य नहीं तुम साधोगे तो,मिलता लक्ष्य भी चल निकलेगा।।
हिम्मत तेरी मेहनत तेरी तू लक्ष्य साधकर बढ़ता चल।
मंजिल का मिलना तो निश्चित है,मेहनत का तेरी फल निकलेगा।।
उम्मीद तो सब कर लेते हैं परिश्रम सब नहीं कर पाते हैं।
दिल से जो परिश्रम करते हैं मेहनत का उनकी फल निकलेगा।।
फौलादी ताकत के बल पर जो आगे बढ़ते जाते हैं।
पर्वत भी झुकते जायेंगे और तू हिमालय पर भी चढ़ निकलेगा।।
है कठिन बहुत जीवन की डगर तुझको आगे बढ़ते ही जाना है।
बेख़ौफ़ तू आगे बढ़ता चल जंगल में भी मंगल निकलेगा।।
रस्ते की हर कठिनाई से लड़ तुझे आगे बढ़ते जाना है।
तेरी खुशियाँ दुगनी हो जायेंगी जब तू अपनी मंज़िल पर निकलेगा।।
कहे विजय बिजनौरी जीवन में सबको कोशिश करनी चाहिए।
जारी रक्खो कोशिश करना तो समुंदर से भी गंगाजल निकलेगा।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।