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31 Aug 2024 · 1 min read

नारी की लुटती रहे, क्यूँ कर दिन दिन लाज ?

नारी की लुटती रहे, क्यूँ कर दिन दिन लाज ?
गडे़ नही क्यूँ शर्म से, पौरुष पुरुष समाज ? ?
रमेश शर्मा.

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