सिखी शान और कुर्बानी की, अनुपम गाथा गाता हूं।
सिखी शान और कुर्बानी की, अनुपम गाथा गाता हूं।
सबसे बड़ी कुर्बानियों से जुड़े, गुरूद्वारों की कथा सुनाता हूं।।
सन १७०४ई.गुरू गोबिंद सिंह के दो छोटे साहिबजादे, धर्म के लिए कुर्बान हुए
धर्म न छोड़ा यातनाओं से, जिंदा दीबार में चुनवा दिए गए
फतेहगढ़ साहिब की धरती पर, जोरावर सिंह (९बर्ष)फतेह सिंह (७बर्ष) कुर्बान हुए
उनकी कुर्बानी सुन माता गुजरी जी,अकाल ज्योति में लीन हुईं
तीनों दिव्य आत्माएं, अपने धर्म के बलिदान हुईं
गुरूद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब भोरा साहिब में, गुरु ग्रंथ साहिब का मुख्य प्रकाश स्थान है
बहीं पर साहिब जादों माता गुजरी जी का, शहीदी स्थान है
एतिहासिक गुरूद्वारा है, ये स्थान महान है
औरंगजेब की सेना ने गढ़ चारों ओर से घेर लिया
गुरु गोविंद सिंह जी हाथ न आए,सात माह तक युद्ध हुआ
चालबाज मुगलों ने, समझौते का प्रस्ताव दिया
परिवार सुरक्षित रखने का, झूठा वचन दिया
मोरिंडा में धोखे से साहिबजादों माता गुजरी को बंदी बना लिया
नहीं वचन पर रहा वो क़ायम, कायरता का काम किया
बंदी बना साहिब जादों को,सरहिंद ले आया
सरहिंद में रथ को रोका, वजीर खान ने जुल्म ढाया
धर्म परिवर्तन के लिए लालच, फिर दबाव बनाया
आज यहां गुरूद्वारा रथ साहिव है
सिखी शान और कुर्बानी का,ये स्थान महान है
भारत की पावन धरती,मेरा पंजाब महान है
वजीर खान के आदेश पर, ढेरों यातनाएं दी थीं
तीन दिनों तक कड़ाके की सर्दी में, क्रूरता की हद कर दी
सूबा सरहिंद की कचहरी में, धर्म परिवर्तन के लिए डराया
ढेरों लालच दिए, पर कोई काम न आया
बजीर खान ने साहिबजादों को, दीबार में चुनवाने के आदेश दिए
धर्म परिवर्तन को हुए न राजी, जीते जी अपने प्राण दिए
कुर्बानी दे दी अपनी,पर अपने धर्म पर अडिग रहे
सुनकर समाचार माता, अकाल ज्योति में लीन हुईं
तीनों पावन आत्माएं, अमरत्व को प्राप्त हुईं
इसी स्थान पर आज गुरुद्वारा ठंडा बुर्ज साहिब है
सिखी शान और कुर्बानी का,ये स्थान महान है
महावीर बलिदानी धरती,मेरा पंजाब महान है
वीर शहीदों के पावन शरीर, हंसला नदी किनारे फेंक दिए
मुगलों ने शवों के साथ भी, ऐसे अत्याचार किए
४८घंटो तक एक बब्बर शेर ने, पावन शरीरों की रक्षा की
बैठा रहा पास में उनके, उनकी मुस्तैद सुरक्षा की
दीवान टोडरमल और संगत ने, पावन देहों ढूंढवाया
बिधि विधान से उन वीरों का, अंतिम संस्कार करवाया
इसी स्थान पर आज गुरूद्वारा श्री बीबानगढ़ साहिब है
सिखी शान का तीर्थ है ये, और पावन गुरुद्वारा है
पावन शरीरों को जब टोडरमल जी, संस्कार को लाए
वजीर खान ने शर्त रखी,जो पूरी न हो पाए
दीवान टोडरमल जी,सोने की मोहरें की झड़ी लगाई
अपनी नेक कमाई से, की वजीर की भरपाई
अंतिम संस्कार को टोडरमल मल जी ने, दुनिया की सबसे महंगी जमीन खरीदी
अंतिम संस्कार कर शहीदों का,सच्ची श्रद्धांजलि दी
इसी स्थान पर श्री ज्योति स्वरूप साहिब गुरुद्वारा है
पावन और एतिहासिक स्थान, कोटि कोटि नमन हमारा है
वजीर खान ने घोषणा की, साहिब जादों मां गुजरी को
जो शख्स मदद पहुंचाएंगे
उन सारे मददगारों को हम, कोल्हू में पिसवाएंगे
बाबा मोतीराम मेहरा जी, जेल में हिंदू लंगर के इंचार्ज थे
सरहिंद जेल में धर्म शील, और परम उदार थे
जब माता गुजरी साहिब जादों ने, मुगलों की रसोई न खाई
मेहरा जी ने अपने घर से,दूध की सेवा पहुंचाई
जब वजीर को पता चला, सुनकर वो बहुत गुर्राया
परिवार समेत मेहरा जी को, उसने कोल्हू में पिसवाया
उनकी पावन याद में, यादगार अमर शहीद बाबा मोतीराम मेहरा जी गुरुद्वारा है
कोटि कोटि नमन उनको, श्रद्धा सुमन हमारा है
सिख कौम के महान जरनैल, बाबा बंदा सिंह बहादुर थे
वजीर खान से चप्पड़चिड़ी में, भीषण युद्ध में रत थे
आखिरकार उस युद्ध में उन्होंने, वजीर खान को मार दिया
१४ मई सन् १७१० में, उन्होंने सरहिंद पर कब्जा किया
६००० सिंह शहीद हुए,जिनका सामूहिक अंतिम संस्कार किया
इस पावन स्थल पर,शहीद गंज साहिब गुरुद्वारा है
शौर्य का प्रतीक है यह, पावन इतिहास हमारा है
कोटि कोटि नमन हमारा,शान ए पंजाब हमारा है
१८ वीं सदी में मुगल बादशाह ने, सिक्खों को मारना
गैर एतराज योग्य करार दिया
सिक्खों के काट लाए जो सिर,उस पर ८०-८० रूपए ईनाम दिया
ईनाम के लालच में सिखों के कटे सिरों को, लाहौर से दिल्ली
गाड़ी बैल से भर भर लाया जा रहा था
सिंहों ने रोका उनको, और काफिले को मारा
पूरे सत्कार से संस्कार किया, जाने संसार ये सारा
इसी स्थान पर आज यहां शीश गंज साहिब गुरुद्वारा है
सिखी शान का है प्रतीक, पावन स्थान हमारा है
महावीर बलिदानी माटी, ये पंजाब हमारा है
वाहे गुरुजी का खालसा वाहे गुरुजी की फतह 🙏🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गुरु गोविंद सिंह जयंती पर विशेष