– तेरे सिवा अब कौन है हमारा –
तेरे सिवा अब कौन है हमारा –
न कोई अपना दिखे ,
न ही कोई अपनापन दिखाए,
न ही कोई दुख समझे ,
न ही कोई आंखों को पोछने आए,
कोई न अब सांत्वना देने आए,
सब स्वार्थ में डूब गए चाहे अपने हो या पराए,
सबको अपना दिखता है ,
पर कोई अपना मुझे नही दिख पाए,
अब हम हमारे दुख दर्द न जाने किसे बताए,
तुम्हारे बिना कौन है अब हमारा,
तेरे सिवा अब कौन है हमारा,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान