Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2024 · 1 min read

*आँसू मिलते निशानी हैं*

आँसू मिलते निशानी हैं
*******************

दो दिन की जिंदगानी है,
जीवन भर की कुर्बानी हैँ।

दुनियादारी समझ जाए,
गाथा बनती जुबानी हैँ।

दिल दरिया दर्मियां डूबा,
यादें दिल में सुहानी हैँ।

भड़के दिन-रात चिंगारी,
बातें होती नही पुरानी हैँ।

जी लो जी भर के जिंदगी,
पानी जैसी रवानी हैँ।

झूलो-झूमों बाँह फैलाये,
बीती जाती जवानी है।

उर ये पल में मचल जाए,
प्यासी नजरें दिवानी हैं।

बिछड़े दो यार रो-रो कर,
आँसू मिलते निशानी है।

मनसीरत बातें अधूरी सी,
वो बन जाती कहानी है।
********************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

106 Views

You may also like these posts

!! सोपान !!
!! सोपान !!
Chunnu Lal Gupta
दुल्हन ही दहेज है
दुल्हन ही दहेज है
जय लगन कुमार हैप्पी
राजनीति
राजनीति
Awadhesh Kumar Singh
मौन
मौन
निकेश कुमार ठाकुर
खोजें समस्याओं का समाधान
खोजें समस्याओं का समाधान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"मैं तुम्हारा रहा"
Lohit Tamta
अंतर
अंतर
Khajan Singh Nain
प्रण साधना
प्रण साधना
संजीव शुक्ल 'सचिन'
संवेदना ही सौन्दर्य है
संवेदना ही सौन्दर्य है
Ritu Asooja
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
खूबी
खूबी
Ruchi Sharma
बंटवारा
बंटवारा
Shriyansh Gupta
लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत
लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत
अंसार एटवी
उससे तू ना कर, बात ऐसी कभी अब
उससे तू ना कर, बात ऐसी कभी अब
gurudeenverma198
बातों में बनावट तो कही आचरण में मिलावट है
बातों में बनावट तो कही आचरण में मिलावट है
पूर्वार्थ
Destiny
Destiny
Chaahat
इच्छाओं  की  दामिनी,
इच्छाओं की दामिनी,
sushil sarna
हिदायत
हिदायत
Dr. Rajeev Jain
तुम जाते हो।
तुम जाते हो।
Priya Maithil
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
कवि रमेशराज
मेरी अलमारी
मेरी अलमारी
अरशद रसूल बदायूंनी
// तुम सदा खुश रहो //
// तुम सदा खुश रहो //
Shivkumar barman
खाली हाथ निकल जाऊँगा
खाली हाथ निकल जाऊँगा
Sanjay Narayan
मैं क्या जानूँ
मैं क्या जानूँ
Shweta Soni
मैं भारत माँ का प्रहरी हूँ
मैं भारत माँ का प्रहरी हूँ
श्रीकृष्ण शुक्ल
राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियाँ और संभावनाएं
राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियाँ और संभावनाएं
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
शेखर सिंह
"आक्रात्मकता" का विकृत रूप ही "उन्माद" कहलाता है। समझे श्रीम
*प्रणय*
"पहली नजर"
Dr. Kishan tandon kranti
🌷🌷  *
🌷🌷 *"स्कंदमाता"*🌷🌷
Shashi kala vyas
Loading...