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30 Jul 2024 · 1 min read

*आँसू मिलते निशानी हैं*

आँसू मिलते निशानी हैं
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दो दिन की जिंदगानी है,
जीवन भर की कुर्बानी हैँ।

दुनियादारी समझ जाए,
गाथा बनती जुबानी हैँ।

दिल दरिया दर्मियां डूबा,
यादें दिल में सुहानी हैँ।

भड़के दिन-रात चिंगारी,
बातें होती नही पुरानी हैँ।

जी लो जी भर के जिंदगी,
पानी जैसी रवानी हैँ।

झूलो-झूमों बाँह फैलाये,
बीती जाती जवानी है।

उर ये पल में मचल जाए,
प्यासी नजरें दिवानी हैं।

बिछड़े दो यार रो-रो कर,
आँसू मिलते निशानी है।

मनसीरत बातें अधूरी सी,
वो बन जाती कहानी है।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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