एक अकेला जुगनू आकर कितनों को रोशन कर देगा

एक अकेला जुगनू आकर कितनों को रोशन कर देगा
अंधकार का आलम फेला , कोन रोशनी से भर देगा
आंधी चलदी दिया बुझाकर ,सूरज छिपा क्षितिज में
कौन बुझाए प्यास किसी की ,कौन बेघर को घर देगा
कवि दीपक सरल
एक अकेला जुगनू आकर कितनों को रोशन कर देगा
अंधकार का आलम फेला , कोन रोशनी से भर देगा
आंधी चलदी दिया बुझाकर ,सूरज छिपा क्षितिज में
कौन बुझाए प्यास किसी की ,कौन बेघर को घर देगा
कवि दीपक सरल