नाजुक रिश्ता स्वार्थ का,चले न ज्यादा दूर नाजुक रिश्ता स्वार्थ का,चले न ज्यादा दूर। हो जाता है शीघ्र ही ,जड़ से चकनाचूर।। रमेश शर्मा