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15 Feb 2024 · 1 min read

कई बचपन की साँसें – बंद है गुब्बारों में

कई बचपन की साँसें – बंद है गुब्बारों में

कहीं कुछ बचपन अपनी साँस
गुब्बारों में भर
इनके बिकने का इंतज़ार करते हैं

उन अमीरों के बच्चों का
जो चंद सिक्कों के बदले
उनके गुब्बारों को फोड़ दे

उनकी बंद साँस को
खुली हवा में आज़ाद कर दे

Language: Hindi
106 Views
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