Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
11 Dec 2023 · 1 min read

*महाराजा अग्रसेन और महात्मा गॉंधी (नौ दोहे)*

महाराजा अग्रसेन और महात्मा गॉंधी (नौ दोहे)
_________________________
1)
महापुरुष दो थे मगर, दिया एक संदेश।
अग्रसेन-गॉंधी चले, हरने निर्धन-क्लेश।।
2)
अंगीकृत करके चलें, अपनी वृत्ति उदार।
एक ईंट-रुपया यही, ट्रस्टीशिप का सार।।
3)
अग्रोहा ने कर दिया, निर्धन को धनवान।
गॉंधी ने सुंदर यही, देखा स्वप्न महान।।
4)
एक ईंट-रुपया मिले, हर निर्धन को दान।
नए दौर में है यही, ट्रस्टीशिप आह्वान।।
5)
ट्रस्टीशिप को जानिए, नए शब्द में बात।
एक ईंट-रुपया चला, पहने नूतन गात।।
6)
समता-भरा समाज था, दोनों का शुभ ध्येय।
अग्रसेन गॉंधी चले, देने श्रेष्ठ प्रदेय।।
7)
जमनालाल बजाज थे, श्रेष्ठ साधु या संत।
ट्रस्टीशिप के गुण भरे, उनमें दिव्य अनंत।।
8)
अग्रोहा में कब रहा, निर्धन दुखी समाज।
समता-भरा प्रयोग था, अग्रोहा का राज।।
9)
एक रुपै ने-ईंट ने, किया क्रॉंति का नाद।
हर निर्धन को मिल गया, धन-आवास प्रसाद।।
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Loading...