Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jul 2024 · 4 min read

पाॅंचवाॅं ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह -2024 संपन्न

30 जून 2024 को रोटरी क्लब, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में साहित्य चेतना मंच द्वारा साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि के 74 वें जन्मदिवस के अवसर पर पाँचवें ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। समारोह का आगाज़ भीम गीत से सुजीत कुमार और अमित तेजी ने किया।
साहित्य चेतना मंच के उपाध्यक्ष डॉ. दीपक मेवाती ने अपने स्वागत भाषण में साहित्य चेतना मंच का परिचय देते हुए कार्यक्रम में शामिल हुए सभी आंगतुकों का स्वागत किया।

‘ओमप्रकाश वाल्मीकि के विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता’ विषय पर मुख्य अतिथि हिन्दी विभाग, किरोड़ीमल कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली) के प्रो. नामदेव कहते हैं कि- ‘ओमप्रकाश वाल्मीकि कभी भी मध्यमार्गी नहीं थे, उनके लेखन में साहस था। उनके साहित्य में वंचित समाज की पीड़ा है। उनका साहित्य एक भोगा हुआ यथार्थ है। उनकी चिंताएँ समाज में आज भी प्रासंगिक है।’ मुख्य अतिथि प्रो. राजेश पाल ने अपने संबोधन में कहा कि- ‘ओमप्रकाश वाल्मीकि का जीवन और साहित्य संघर्ष और प्रतिरोध का रहा है। उनके लिये सामाजिक व्यवस्था में बीच का कोई रास्ता नहीं होता। उनका जीवन और साहित्य सदैव प्रेरणा स्रोत रहेगा।’

पाँचवें ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान-2024 से दलित लेखक संघ के अध्यक्ष और राजधानी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली) में हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. महेन्द्र सिंह बेनीवाल को साहित्य चेतना मंच के पदाधिकारियों अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र वाल्मीकि, उपाध्यक्ष डॉ. दीपक मेवाती, महासचिव श्याम निर्मोही, कोषाध्यक्ष जे.एम. सहदेव सोनू, सचिव रमन टाकिया व प्रवेश कुमार द्वारा प्रशस्ति पत्र, शाॅल, साहित्यिक उपहार और स्मृति चिह्न भेंट करके सम्मानित किया गया।

‘ओमप्रकाश वाल्मीकि के विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए बेनीवाल ने कहा कि- ‘संसाधनों में दलितो का हिस्सा आज भी नहीं है, मीडिया में भी उचित हिस्सा नहीं है, ये विचार ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य में आये और आज भी प्रासंगिक हैं। दलित विद्यार्थियों के साथ आज भी स्कूलों में ओमप्रकाश वाल्मीकि जैसा बर्ताव होता है। गाँव मे आज भी जातिगत आतंक है।’

विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ दलित साहित्यकार डॉ. एन. सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि- ‘जो दलित लेखक ब्राह्मणवाद की बात का समर्थन करता है वह दलित साहित्यकार नहीं है। दलितो के व्यवहार में तमाम पीड़ाऍं सहने के बावजूद भी तिक्तता नहीं आनी चाहिए। ये बात हमें ओमप्रकाश वाल्मीकि जी से सीखनी चाहिए।’

ओमप्रकाश वाल्मीकि के परम मित्र साहित्यकार शिवबाबू मिश्र ने अपने संबोधन में ओमप्रकाश वाल्मीकि के साथ बिताएं पलों को साझा किया। उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। वहीं उन्होंने बताया कि-‘ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य और जीवन में सत्य की पक्षधरता रही है। ओमप्रकाश वाल्मीकि को कई अवसरों पर देहरादून में उपेक्षित किया गया। सच कहने का उनमें अपार साहस था। वे विश्व मानवता के व्यक्ति थे।’

कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा साहित्य चेतना मंच की रचनात्मक प्रस्तुति “घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि” स्मारिका (2024) के तीसरे संस्करण, श्याम निर्मोही के दूसरे कविता संग्रह ‘मन के कबीर’ और डॉ. नरेन्द्र वाल्मीकि के कविता संग्रह ‘उजाले की ओर’ का विमोचन किया गया।

इनके अतिरिक्त भारत भूषण, डॉ. सुभाष प्रज्ञ, जे.पी. सिंह, धनपाल तेश्वर्, महेश कुनवाल आदि ने अपनी बात रखी और ओमप्रकाश वाल्मीकि जी को याद करके श्रद्धांजलि दी। समारोह में सामाजिक कार्यकर्ता रमेश भंगी, मेहरचन्द चावरियाँ, तनिष्क बेनीवाल, प्रो. धर्मवीर, सचिन ढ़िगिया, ओ.पी. शुक्ला, आशीष बकोडिया (दिल्ली) ओमदत्त, फतेहचंद, सुनील कुमार (मेरठ), चेतन ऋषि, रवि ढ़िगिया, अनिल कुमार, बिजेंद्र कुमार, राजीव बहोत्रा, सुंदर लाल बेनीवाल (मुजफ्फरनगर), डॉ. रोबिन सिंह (बागपत), लवकुश सहदेव (खटीमा, उत्तराखंड), लव कुमार लव और सुनील कुमार (अंबाला, हरियाणा) अजय बिरला, आत्मा राम चंचल, बृजमोहन सूद, राकेश चन्द्रा, प्रवेश कुमार, मदनलाल चन्नां, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. प्रवीन कुमार, राजकुमार गोयल, गौरव चौहान, जुगनू वाल्मीकि, विशाल बग्गा, डॉ. सुरेंद्र गौतम, अजय दिलोढ़, अमित गोल्डी, विश्वास घावरी, राकेश कल्याण, मा. सेवाराम, संजय सूद, सोनू राजोरिया, सुनील कुमार, राजकुमार कांगडा, प्रवीन सौदाई, सचिन सौदाई, अंकिता अग्रवाल, प्रीति जेटवाल, राहुल, इरा जेटवाल, तेजस जेटवाल, मौ. शोएब (सहारनपुर) आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही। आये हुए अतिथियों का साहित्यिक उपहार भेंट करके अभिनन्दन किया गया।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में मदनपाल तेश्वर ने बताया कि- ‘उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को बड़ी ही तन्मयता से सुना। सभी वक्ताओं ने ओमप्रकाश वाल्मीकि जी के साहित्य को बारीकी से पढ़ा है और उस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। सभी के वक्तव्यों को संक्षेप में सार रूप में बताते हुए उन्होंने कहा कि- ‘ओमप्रकाश वाल्मीकि ने दलित साहित्य के माध्यम से समाज में चेतना लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया हैं। यह चेतना घर-घर तक पहुॅंचनी चाहिए।

साहित्य चेतना मंच के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र वाल्मीकि ने इस कार्यक्रम में शामिल हुए सभी व्यक्तियों का हृदयतल की गहराइयों से धन्यवाद किया तथा अपने नये कविता संग्रह ‘उजाले की ओर’ से ‘ओमप्रकाश’ नामक कविता का पाठ किया। साचेम के महासचिव श्याम निर्मोही ने कुशलतापूर्वक मंच का संचालन किया।

154 Views

You may also like these posts

करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
हिंदी मेरी राष्ट्र की भाषा जग में सबसे न्यारी है
हिंदी मेरी राष्ट्र की भाषा जग में सबसे न्यारी है
SHAMA PARVEEN
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अपने को जो कहाएं ज्ञानी
अपने को जो कहाएं ज्ञानी
Acharya Shilak Ram
माणुष
माणुष
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
" पुष्कर वाली धुलंडी "
Dr Meenu Poonia
विशाल प्रजापति
विशाल प्रजापति
Vishal Prajapati
#बिखरी वचनकिरचें
#बिखरी वचनकिरचें
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
सावन आज फिर उमड़ आया है,
सावन आज फिर उमड़ आया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
साल 2024… लीप ईयर के बजाय पेपर लीक ईयर के नाम से क्यों जाना
साल 2024… लीप ईयर के बजाय पेपर लीक ईयर के नाम से क्यों जाना
Shakil Alam
ज़माना इतना बुरा कभी नहीं था
ज़माना इतना बुरा कभी नहीं था
shabina. Naaz
नमन साथियों 🙏🌹
नमन साथियों 🙏🌹
Neelofar Khan
अ
*प्रणय*
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
भारत का युवा
भारत का युवा
विजय कुमार अग्रवाल
"इच्छाएँ"
Dr. Kishan tandon kranti
Lonely is just a word which can't make you so,
Lonely is just a word which can't make you so,
Chaahat
जय श्री राम !
जय श्री राम !
Mahesh Jain 'Jyoti'
गाॅंधीजी के सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए,
गाॅंधीजी के सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए,
Ajit Kumar "Karn"
"दूध में दरार"
राकेश चौरसिया
कोशिशों की न पूछ कुछ हमसे,
कोशिशों की न पूछ कुछ हमसे,
Dr fauzia Naseem shad
जीवन का कोई सार न हो
जीवन का कोई सार न हो
Shweta Soni
गर्मी बहुत सताये माँ
गर्मी बहुत सताये माँ
Rita Singh
हुनर का मेहनताना
हुनर का मेहनताना
आर एस आघात
विचार-प्रधान कुंडलियाँ
विचार-प्रधान कुंडलियाँ
Ravi Prakash
3716.💐 *पूर्णिका* 💐
3716.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मनु
मनु
Shashi Mahajan
परिवर्तन
परिवर्तन
Paras Nath Jha
आज की हकीकत
आज की हकीकत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Loading...