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13 Jan 2024 · 2 min read

हुनर का मेहनताना

देखा होगा आपने अक्सर
जिसे घूमता हुआ गलियों में
बैठा हुआ सड़क किनारे
टपरी डालकर धूप में बैठकर
दूसरों की टूटी – फटी
चप्पलों को सिलता हुआ
जूतों को गठता हुआ
कहते हैं उसे मोची ।

मोची कोई जाति नहीं है
सिर्फ काम के कारण
लोग उसे मोची कहते हैं
वह भी आपकी तरह होता
अगर सीख लेता कुछ अंक
पढ़ लेता जिंदगी के मायने
और समझ पाता जीवन को
कैसे जिया जाता है ।

फिर भी वो कभी
भीख नहीं मांगता
मंदिर के पुजारी की तरह
जो भी माँगता है
हक से माँगता है
क्योंकि काम के बदले मांगना
भीख नहीं मेहनताना होता है
जिसका वो हकदार होता है ।

क्या कभी देखा आपने
मेहनत करते हुए
किसी मंदिर के पुजारी को
जबकि धूप हो या छांव
बारिश हो या सर्द हवाओं के थपेड़े
मोची नहीं करता कामचोरी
जाता है प्रतिदिन अपने काम पर
लोगों के बीच अपनी सेवाएं देने ।

सेवा से याद आया
यह तो पेशा है वकील का,
एक विशेषज्ञ डॉक्टर का
एक विशेषज्ञ अध्यापक का
एक विशेषज्ञ वैज्ञानिक का
एक विशेषज्ञ इंजीनियर का
तो फिर मोची भी हुआ
अपने काम का विशेषज्ञ ।

विशेषज्ञ की एक फीस होती है
जैसे वकील की केस के लिए
डॉक्टर की परामर्श के लिए
अध्यापक की अध्यापन के लिए
वैज्ञानिक की अनुसंधान के लिए
इंजीनियर की किसी प्रोजेक्ट के लिए
इसी तरह मोची को मिलनी चाहिए
फीस उसके हुनर के लिए ।

क्योंकि फीस मिलती है
किसी कार्य को अपने हुनर से
सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए
वकील को केस लड़ने के लिए
डॉक्टर को बीमारी खत्म करने के लिए
अध्यापक को कोर्स सम्पूर्ण कराने के लिए
इंजीनियर को प्रोजेक्ट समाप्त करने के लिए
और मोची को उसके काम के लिए ।

आर एस आघात

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 105 Views

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