चाह
तू मुझको बस चाहे ऐसे,
जैसे मीन नीर को चाहे।
तू मुझको बस चाहे ऐसे,
जैसे स्वाति सीप को चाहे।।
तू मुझको बस चाहे ऐसे,
जैसे भंवरा कमल को चाहे।
तू मुझको बस चाहे ऐसे,
जैसे भक्त प्रभु को चाहे।।
तू मुझको बस चाहे ऐसे,
जैसे पतंगा दीप को चाहे।
तू मुझको बस चाहे ऐसे,
जैसे माई शिशु को चाहे।।
ललकार भारद्वाज