Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2024 · 2 min read

तुम तो दमदार फुलझड़ी

तुम तो दमदार फुलझड़ी हो हम एक पटाखा फुसस्
तुम अपने घर में खुश रहो हम अपने घर में खुश

मैं बेसिक टेलीफोन प्रिये तुम हो मिस कॉल मोबाइल की
मैं खद्दर का पाजामा हूं और तुम हो साड़ी वाईल की

मैं भारत का मनमोहन हूं तुम अमेरिका की बुश
तुम अपने घर में खुश रहो हम अपने घर में खुश

मैं टूटी-फूटी साइकिल हूं तुम होंडा बिना गियर वाली
तुम्हें देख बजाएं सब सीटी मुझे देख बजाएं सब ताली

जब पढ़ू मंच पर मैं कविता कुछ लोग करें खुश फुस
तुम अपने घर में खुश रहो हम अपने घर में खुश

तुम CD बॉलीवुड की हो मैं नौटंकी वाला ठहरा
तुम मंचों की कवियत्री हो मैं हूं श्रोता गूंगा बहरा

जब जी चाहे तुम पुल कर लो पर कभी न करना पुश
तुम अपने घर में खुश रहो हम अपने घर में खुश

तुम रामदेव की चेली हो मै कामदेव का चेला हूं
तुम एलोवेरा का जूस प्रिये मैं सूखा हुआ करेला हूं

पर बिना तुम्हारे ऐसा जैसे आम गया हो चुस
तुम अपने घर में खुश रहो हम अपने घर में खुश

मैं सूमो पहलवान जैसा तुम सर्कस वाली बाला हो
मैं काका की पैरोडी हूं तुम बच्चन की मधुशाला हो

श्रोताओं की ताली पाकर कवि मन होता है खुश
तुम अपने घर में खुश रहो हम अपने घर में खुश

मैं लगता टैडी बियर तुम्हें तुम डाल बार्बी गुड़िया हो
मैं सीधा-साधा भोंदू सा और तुम आफत की पुड़िया हो

मेरे दिल की नो एंट्री में तुम गई जबरिया घुस
तुम हमारे घर में खुश रहो हम अपने घर में खुश
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव

1 Like · 92 Views
Books from Manoj Shrivastava
View all

You may also like these posts

मैं पुरखों के घर आया था
मैं पुरखों के घर आया था
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
....नया मोड़
....नया मोड़
Naushaba Suriya
*टैगोर काव्य गोष्ठी/ संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ*
*टैगोर काव्य गोष्ठी/ संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ*
Ravi Prakash
इस गुज़रते साल में...कितने मनसूबे दबाये बैठे हो...!!
इस गुज़रते साल में...कितने मनसूबे दबाये बैठे हो...!!
Ravi Betulwala
रोना ना तुम।
रोना ना तुम।
Taj Mohammad
सेवानिवृत्ति
सेवानिवृत्ति
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
पिता:(प्रदीप छंद)
पिता:(प्रदीप छंद)
Ashok Sharma
राम का न्याय
राम का न्याय
Shashi Mahajan
#क़तआ_मुक्तक
#क़तआ_मुक्तक
*प्रणय*
हिन्दी गीति काव्य में तेवरी की सार्थकता +सुरेश त्रस्त
हिन्दी गीति काव्य में तेवरी की सार्थकता +सुरेश त्रस्त
कवि रमेशराज
जवाब कौन देगा ?
जवाब कौन देगा ?
gurudeenverma198
2554.पूर्णिका
2554.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कुछ रिश्ते कांटों की तरह होते हैं
कुछ रिश्ते कांटों की तरह होते हैं
Chitra Bisht
जानी मानी गलियों में ,
जानी मानी गलियों में ,
पं अंजू पांडेय अश्रु
"जीवन का निचोड़"
Dr. Kishan tandon kranti
आषाढ़ के मेघ
आषाढ़ के मेघ
Saraswati Bajpai
दिवाली पर कुछ रुबाइयाँ...
दिवाली पर कुछ रुबाइयाँ...
आर.एस. 'प्रीतम'
दोहा-सुराज
दोहा-सुराज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सच और झूँठ
सच और झूँठ
विजय कुमार अग्रवाल
चुनावी घनाक्षरी
चुनावी घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
*आत्म-विश्वास*
*आत्म-विश्वास*
Vaishaligoel
एक मुस्कान कठिनाइयों पर वैसे ही काम करती है जैसे सूरज बादलों
एक मुस्कान कठिनाइयों पर वैसे ही काम करती है जैसे सूरज बादलों
ललकार भारद्वाज
ज़ब्त को जितना आज़माया है
ज़ब्त को जितना आज़माया है
Dr fauzia Naseem shad
पर्यावरण
पर्यावरण
Rambali Mishra
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
Madhuri mahakash
होली उसी की होली है
होली उसी की होली है
Manoj Shrivastava
जीवनदायिनी बैनगंगा
जीवनदायिनी बैनगंगा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मज़दूर
मज़दूर
आशा शैली
मेंहदी
मेंहदी
Sudhir srivastava
"बूढ़े होने पर त्याग दिये जाते हैं ll
पूर्वार्थ
Loading...