शीर्षक – हमारी सोच…. कुदरत

शीर्षक –
हमारी सोच….
कुदरत
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हमारी सोच अपनी अपनी होती है।
कुदरत समय और हालात होते हैं।
इंसान की अपनी हमारी सोच है।
सच स्वार्थ और स्वाद रखते हैं।
जिंदगी जीवन हमारी सोच होती हैं।
बस हम कुदरत के साथ सोचते हैं।
हमारी सोच स्वार्थ और फरेब रखतीं हैं।
कुदरत और समय वो हमको देता है।
अच्छा बुरा बस हमारी सोच होती हैं।
न जन्म न मृत्यु हमारे वश में होते हैं।
बस हमारी सोच और जिद होती हैं।
हर कदम हर लम्हा लिखा होता हैं।
रंगमंच पर संसारिक मोह-माया हैं।
हमारी सोच कुदरत का नाम होता है।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र