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1 Dec 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . जीवन

दोहा पंचक. . . जीवन

सोच लिप्त संदेह से, मन उलझन का धाम ।
प्रश्न शूल आहत करें, उत्तर को हर याम ।।

जीवन की यह गुत्थियाँ,भ्रमित करें दिन रैन ।
सुलझाते जीवन गया, मिला न मन को चैन ।।

कभी सताती लालसा, कभी सताता काम ।
ऐसी पंकिल झील से , मुक्त करें श्री राम ।।

जीवन के सुख चैन को, शंका जाती लील ।
बिना निवारण यह सदा, चुभती जैसे कील ।।

जीवन घट को सींचता , इच्छाओं का नीर ।
इसमें जीना अंत तक, जीवन की तासीर ।।

सुशील सरना / 1-12-24

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