देश बना एक जंगल
देश बना एक जंगल है
जो होता अमंगल वो मंगल है
हो रहा हर रोज जानवरों का
आपस में एक दूसरे से दंगल है ll
जो शेर है वह राजा बना
तनाशाही में वो खड़ा रंगा तना
नए नए क़ानून पास हुए
कुछ खुश तो कुछ उदास हुए l
शाकाहरियों को चरने की खुल कर आजादी दी
पर जिस्टि लगादी घास पर एक ये बर्बादी दी l
कहा भेड़ बकरी हरणों को हँसों गाओ
खेलों कूदो l
पर भेड़ियों को कब कहा के उनको देख ऑंखें मुंदों l
समूह है कितना भेड़ियों का
जंगल की इन राहों पर,
मिलती है हर रोज हिरणे
मरती बलिखती रोती हुई चौराहों पर l
बहुत छाया है विराना जंगल की फिजाओं मे
बू आती है खून की अब जंगल की हवाओं मे l
ये सोच शेर ने भेड़ियों को सफेद पोशाक
पहना रखा
मंत्री इस जंगल का संग कोई बना रखा
और कहा अब तुम्हें भी हाथ बटाना है जंगल की रखवाली मे l
सभलों अपना पद और कमी न आये
जंगल की हरियाली मे l
पर भेड़ियों ने धर्म -मजहब,जाति से
आग सुलगा दी इस जंगल की ईद होली दिवाली मे l
कितने जीव जानवर मर गये इस धर्म मजहब की गाली मे l
जिन हिरनो बकरी की पढने लिखने की मुहिम चली थी
अब उन हरणों बकरियों के शव पड़े है
किसी बहती नदी नाली मे l
जंगल मे अब वो चूतर खरगोश नहीं,
जो पढ़ा था प्राइमरी की किताबों मे
वो भी नशे मे धुत बोतल शराबों मे
जंगल के जानवर अब चूहें बने है
घंटी कौन बंदेगा
अत्यंचारों को रोकने का सिलसिला
कौन थामेगा l
फौजी मुंडे सोहन लाल मुंडे