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4 May 2024 · 1 min read

बसंत

आज तुम्हारे आने से
साकार हो गए फागुन के रंग
वीरान और ऊसर आने से तुम्हारे
हो गए उपवन की बाहार
अमराइयां देने लगी आमंत्रण
भंवरों के सुनाई दिए गुंजार
टेसू की पीली चादर
ओढ़ ली ढलानों ने
रंग बिरंगी तितलियां के संग
उड़ते परागकण
पलाश की ओढ़ लाल चुनरिया
दुल्हन बनी दूर-दूर तक मनोहारी वनस्थली
सरसों फूली शर्माई ,अलसी झुकी-झूमी इतराई
सुग्गे की टेर बेंधती अमराई
पिक ने छेड़ दी मनछुई मधुर तान
आज तुम्हारे आने से
इंद्रधनुषी हुई दिशाएं
खिल उठे मखमली खलियान।

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