Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Nov 2023 · 1 min read

समझदार बेवकूफ़

एक गधे ने दूसरे गधे से कहा ,

लोग खामखां हमें बदनाम करते हैं ,
पर इंसान कुछ ऐसे काम करते हैं ,

जिन्हें देखकर कहते हमें शर्म आती है ,
सियासत में ऐसी बख़िया उधेड़ी जाती है ,

जिसमें नेता एक दूसरे को
नंगा करते हैं ,
फिर भी अपनी करतूतों से
बाज़ नहीं आते हैं ,

वक्त बदलने पर ये खुदगर्ज़ पार्टी
बदल लेते हैं ,
जिसे पहले चोर कहा था उसी के
कसीदे पढ़ने लगते हैं ,

इनका कोई ज़मीर-ओ – ईमान
नहीं होता है ,
अपनों से प्यारा इन्हें अपना रुसूख़ और
पैसा होता है ,

चुनाव आने पर अवाम पर इनका
प्यार उमड़ता है ,
जीतने पर इनका चेहरा कहीं
गुम हो जाता है ,

अवाम को बेवक़ूफ़ बनाने में ये
अव्व़ल दर्जे़ के फ़नकार होते हैं ,
नामचीन अदा-कार भी पीछे छूट जाऐं
ऐसे ये नाटककार होते हैं ,

ये इंसान जो हमेशा हमें जाहिल
बेवक़ूफ़ कहते हैं ,
पर ये समझदार हर बार
बेवक़ूफ़ बनकर इन्हें ही चुनते हैं।

2 Likes · 256 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

मैं क्या जानूँ
मैं क्या जानूँ
Shweta Soni
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
Manisha Manjari
इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कुछ हृदय ने गहे
कुछ हृदय ने गहे
Dr Archana Gupta
तू चला चल
तू चला चल
Sukeshini Budhawne
Night में light off करके सोइए।
Night में light off करके सोइए।
Rj Anand Prajapati
जाके हॄदय में राम बसे
जाके हॄदय में राम बसे
Kavita Chouhan
दिल ने भी
दिल ने भी
Dr fauzia Naseem shad
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
Dheeru bhai berang
कोई दौलत पे, कोई शौहरत पे मर गए
कोई दौलत पे, कोई शौहरत पे मर गए
The_dk_poetry
शीर्षक - पानी
शीर्षक - पानी
Neeraj Agarwal
बहुमूल्य जीवन और युवा पीढ़ी
बहुमूल्य जीवन और युवा पीढ़ी
Gaurav Sony
ज़िन्दगी में खुशी नहीं होती
ज़िन्दगी में खुशी नहीं होती
सुशील भारती
..
..
*प्रणय*
जीवन अप्रत्याशित
जीवन अप्रत्याशित
पूर्वार्थ
*चंदा दल को दीजिए, काला धन साभार (व्यंग्य कुंडलिया)*
*चंदा दल को दीजिए, काला धन साभार (व्यंग्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
भावना मर्म की, होती नहीं विशुद्ध
भावना मर्म की, होती नहीं विशुद्ध
RAMESH SHARMA
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
Phool gufran
धर्म की खूंटी
धर्म की खूंटी
मनोज कर्ण
" सोहबत "
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
इश्क लगातार तार तार है l
इश्क लगातार तार तार है l
अरविन्द व्यास
तुम क्या जानो
तुम क्या जानो
Jai Prakash Srivastav
खबर
खबर
Mukesh Kumar Rishi Verma
आप
आप
Bodhisatva kastooriya
तकरार
तकरार
ओनिका सेतिया 'अनु '
* नदी की धार *
* नदी की धार *
surenderpal vaidya
2985.*पूर्णिका*
2985.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*हम चले तुम हमे अंतिम विदाई देना*
*हम चले तुम हमे अंतिम विदाई देना*
Er.Navaneet R Shandily
Loading...