वो ईद

वो ईद””
रमजान चालू होते ही बच्चों में ईद का शौक चालू हो जाया करता था””घर के बड़े अगर रोज़े की फिक्र करते थे””तो बच्चे ईद के जश्न के फिक्र करते थे”
जब ईद से एक दिन पहले चांद रात हुआ करती थी तो बच्चे अपने घर की कच्ची पक्की छत पे चढ़ जाया करते थे और चांद देखकर बड़े हंसते थे मुस्कुराते थे””
वो नारा आपके याद है””
ईद का चांद दिख गया
दूध में छुहारा भीग गया””
वो लड़कियों का पूरी पूरी
रात हाथों पे मेहंदी लगवाना””
बच्चों का पूरी पूरी रात छोटे-मोटे पटाखे फोड़ना या पूरी पूरी रात ईद का हमाय में गुजर देना वो अपने बच्चों साथी से अपनी चीजों के बारे में बताना कि मेरे कपड़े ऐसे हैं ऐसे हैं””
वो ईद के बारे में बताना””
कि मैं यह चीज खरीद के लाऊंगा””
वो कुनबे कबीले के बड़ों का घर पर आकर पैसे देना लड़कियों को बच्चियों को और हमको ₹10 भी वह हमें बहुत लगते थे””
सुबह के समय वह अपने-अपने ट्रैक्टरों ट्राली और रेहडो व बुग्गी झोटा पर बच्चों का चढ़ना और बड़ों का चढ़ना चढ़कर रेस लगाकर ईद में भागना””
अपने वाहनों को एक दूसरे से आगे निकलना और खूब-खूब जोर से ललकारी देना””
कुछ ऐसा लग ही अंदाज था””
हम अम्बैहटा पीर की ईद में कई गांव का जाना घाटोंपर नवाजपुर टिडौली बाहीखेडी व घिस्सावाला आसपास के सभी गांव के वाहनों का और आदमियों का जाना कुछ ऐसा ही अलग अंदाज था सभी का”””
यह तस्वीर में दिखाए गए आपको वह तालाब दिखेगा””जिसमें कभी किसी वक्त लोग इसके कच्चे किनारो पर बैठकर वुजु किया करते थे””उस वक्त सभी तालाबों का पानी पाक होता था””
आपको बगीचे में जो फैलाए हुए कपडे दिख रहे हैं वहां पर पहले की तरह आज भी खिलौना का मेला लगता है””जो पूरा-पूरा भरा रहा करता था””
कुछ ऐसा ही अलग अंदाज था हंसी-खुशी के साथ उस वक्त का जो आज हमारे बचपन से और हमारी आंखों से साफ-साफ ओझल हो गया जो अब दिखाई भी नहीं देता अब वह खुशी नहीं रही अब वह वक्त ना रहा””
अब वह सिर्फ कहानी
और दस्ताने बन गई___
Aapka Apna ✍️
Writer Ch Bilal””
समाप्त ✍️
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