मिले बिना ही बिछड़ने का दर्द दे गए हो तुम”
तुम शायद मुझे भूल गए हो,
क्यों सही कहा न मैने
आज ही की वो तारीख जिस दिन दूल्हे की तरह सजे हुए तुम एकदम टॉम क्रूज माफिक मेरे घर बारात लेकर आते,
मेरे भी ये ही सपने थे, पर कमबख्त किस्मत ने साथ नहीं दिया, या फिर यूं कहो शायद हमारा मिलना ही गवारा न हो किसी को ,
न जाने किस की नजर लगी थी उस दिन जब तुमने मुझे से मना कर दिया था “मैं तुमसे शादी नहीं करूंगा”
न जाने कोन सी गलती थी वो मेरी जिसने तुम्हे इतना कहने पर मजबूर कर दिया, नहीं पता मुझे आज तक भी मैं इंतजार में हूं कभी कोई बताए तो आखिर तुम्हे उस दिन हुआ क्या था,
मेरे साथ साथ मेरे घर वाले भी टूट गए थे,, आसान नहीं होता ये सब किसी के लिए भी इतना सब कुछ हो जाना
“मोहब्बत हुई थी तुमसे बिना मिले ही
मिले बिना ही बिछड़ने का दर्द दे गए हो तुम”
टूट चुकी हूँ मैं, मेरी लाख मनाने पर भी तुम चुप थे,
पर शायद कोई मेरी ही गलती हो जिसको तुमने सुधारने का मौका न दिया हो
कुछ भी तो ठीक नहीं लगता अब मुझे
हालांकि शादी हो चुकी है मेरी,
अच्छा है लड़का
समझता भी है मुझे!
प्यार करता है मुझे!
पर इतना कहूंगी तुम जैसा नहीं करता,
वो तुम्हारा मुझे बार बार समझना,
मैं गलत होऊ तो मुझे सही बताना।
सच कहा था तुमने शिवम्
भुला न पाऊंगी तुम्हें ..!
निमित मात्र भी मेरे न हुए तुम.
मैने लुटा दी तुमपे जां अपनी.
जानती हुं गैरों से मोहब्बत करते हो तुम
रो के गुजार लेती हुं रात अपनी.
शिवम् सहज..