बुलंदी पर पहुँच जाना

ग़ज़ल
बुलंदी पर पहुँच जाना , बढ़ाकर हाथ अपने भी ,
मिलेंगे राह में तुमको , बिचारे भी , दीवाने भी ।1/
इधर मस्जिद उधर मंदिर , ज़रा आगे शिवाले भी ,
दुआ सब से ही लेना तुम ,सभी लगते हैं प्यारे भी ।2/
तुम्हारे ख़्वाब पूरे हों , तुम्हारा नाम ऊंचा हो ,
ज़मीं से आसमां तक तर्जुमानी प्यार, जलसे भी ।3/
दुलारी मां पिता की हो, सुनहरी रंग की गुड़िया,
हरिक हर बार पूरी हो , तुम्हारी चाह आगे भी । 4/
हमेशा चोटियों से देख लो , छोटे लगेंगे सब ,
करे सम्मान जो सबका ,वही आगे ही बढ़ते भी ।5/
करो इज़्ज़त बहुत उनकी ,अभी उँगली पकड़ते जो ,
नहीं होते बड़े जब साथ ,बनते भी , बिगड़ते भी ।6/
नसीहत याद रखना तुम , हमेशा काम आयेगी ,
न देना दुख कभी मां बाप को ,जागे भी सोते भी ।7/
कभी थकना न डरना तुम , तुम्हारे साथ दुनिया है ,
जगेंगे हौसले जब तक , क़दम रुकने न देंगे भी ।8/
मुहब्बत”नील” की हर वक्त ,अपने साथ पाओगी,
उसे मालूम है , सपने तुम्हारे , खूब ऊँचे भी ।9/
✍️नील रूहानी ,,,18/03/2025