धर्मस्य दुर्लभो ज्ञाता सम्यक् वक्ता ततोऽपि च। श्रोता ततोऽपि

धर्मस्य दुर्लभो ज्ञाता सम्यक् वक्ता ततोऽपि च। श्रोता ततोऽपि श्रध्दावान् कर्ता कोऽपि तत: सुधी:।। “अर्थात”- धर्म को जानने वाला दुर्लभ होता है, उसे श्रेष्ठ तरीके से बताने वाला उससे भी दुर्लभ, श्रध्दा से सुनने वाला उससे दुर्लभ, और धर्म का आचरण करने वाला सुबुध्दिमान सबसे दुर्लभ है…🙏🏃🏻♂️राष्ट्रहित सर्वोपरि रखिए। धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो प्राणियों मे सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो, सनातन धर्म की जय हो, भारतवर्ष शीघ्राति शीघ्र हिंदू राष्ट्र बने और हिंदू राष्ट्र का मन्तव्य यह कदाचित नही कि हम किसी पंथ या मजहब को भारतवर्ष मे रहने नही देगे हम तो सनातनी है सभी को अपने हृदय से लगा कर रखते है परन्तु विश्व मे फैले सभी सनातन के लिए एक राष्ट्र तो जरूरी है। प्रणाम, नमस्कार, वंदेमातरम…भारत माता की जय 🚭‼️