हाय रे ज़िंदगी!!!!!

हालत ऐसी कि ज़िल्लत भी गंवारा है मुझे
हाय रे ज़िंदगी, तूने घेर कर मारा है मुझे
खुशियों के हर साए से महरूम कर दिया,
हर अपने को बेगाना सा कर दिया,
सहारा जिनसे था, वो भी मुंह मोड़ गए,
अब तो तन्हाई ने ही आकर संभाला है मुझे।
हालत ऐसी कि ज़िल्लत भी गंवारा है मुझे
हाय रे ज़िंदगी, तूने घेर कर मारा है मुझे
ख्वाबों के महल खुद ही ढह गए,
जिनसे उम्मीद थी, वो भी बह गए,
कर्ज़ के दलदल में जबसे उतरा हूँ,
हर कदम पे कांटों ने पुकारा है मुझे।
हालत ऐसी कि ज़िल्लत भी गंवारा है मुझे
हाय रे ज़िंदगी, तूने घेर कर मारा है मुझे
हर इक मोड़ पर बेबसी का राज है,
सांसों में बसी एक अजीब सी आवाज़ है,
अब तो गिरकर ही शायद उठ पाऊंगा,
क्योंकि गिरने ने ही हर बार उबारा है मुझे।
हालत ऐसी कि ज़िल्लत भी गंवारा है मुझे
हाय रे ज़िंदगी, तूने घेर कर मारा है मुझे
मंज़ूर तेरा हर एक है फैसला,
क़यामत तक लड़ने का इरादा है पक्का,
न झुकूंगा, न रुकूंगा इस जंग में,
तेरे वार से अब दिल ने ललकारा है मुझे।
हालत ऐसी कि ज़िल्लत भी गंवारा है मुझे
हाय रे ज़िंदगी, तूने घेर कर मारा है मुझे
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👉 महेश ओझा