होली
होली की हुड़दंग हूं मैं
जो भी चाहे उसके संग हूं मैं।
बच्चा-बूढ़ा औ क्या जवान
सब पे मेरा जादू चले समान।
लाल-गुलाबी,नीला-पीला औ जमुनी रंग
चाची-मामी,भाभी-ननदी खेलें इक दूजी संग।
बरस इक बार ही मैं आती पर कसर पूरी कर जाती
भंगेड़ियों से भंगड़ाई में करवाती,गालों पे गुलाल बन जाती।
भाई-चारा बना रहे यही संदेसा देती हूं
स्नेह औ प्रेम बना रहे यही आस मैं करती हूं।