त्रिभाषा सूत्र लागू करने वाला पहला राज्य बना हरियाणा
सुशील कुमार ‘ नवीन ‘
हरि की धरा ‘ हरियाणा ‘ से शिक्षा क्षेत्र में आज से नया अध्याय जुड़ गया है। शिक्षा नीति 2020 के तहत माध्यमिक स्तर पर त्रिभाषा सूत्र लागू करने में हरियाणा ने पहला राज्य बनने का गौरव हासिल किया है। अब तक केवल अखबारी बयानों की सुर्खियों में रहने वाले त्रिभाषा सूत्र को आज से व्यवहारिक रूप से लागू करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। आदेशों के तहत नए सत्र से प्रदेश के 9वीं और 10वीं के छात्रों को अब सात विषय पढ़ने होंगे। इसमें संस्कृत वैकल्पिक विषय न होकर त्रिभाषा सूत्र के तहत हिंदी और अंग्रेजी के साथ तीसरी भाषा होगी। हालांकि संस्कृत के साथ विकल्प में पंजाबी और उर्दू भी होगी। पर सबसे ज्यादा फायदा संस्कृत को ही होगा।
केंद्र की प्रत्येक योजना को लागू करने में हरियाणा सरकार अग्रणी की भूमिका में रहती है। चाहे बात अन्तोदय की हो या फिर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की। या फिर आयुष्मान भारत की हो। केंद्र की लगभग सभी योजनाओं को प्रदेश की भाजपा सरकार पिछले अपनी तीन योजनाओं से लगातार लागू करने का कार्य कर रही है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 की सभी नीतियों को आधार मानते हुए हरियाणा सरकार ने उन्हें राज्य में लागू करने को प्राथमिकता दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होते ही राज्य में सभी स्तर पर इसके क्रियान्वयन के लिए विभिन्न समितियां गठित की गई थी। खास बात यह है कि हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य बना जिसने सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया।
केंद्र द्वारा स्कूली शिक्षा में त्रिभाषा सूत्र लागू करने की पहल में भी हरियाणा ने सबसे पहले घोड़े दौड़ाने शुरू किए थे। जो आज मंजिल तक पहुंच गए हैं। त्रिभाषा सूत्र लागू कराने में संस्कृत शिक्षक संगठन, संस्कृत भारती, संस्कृत अकादमी के प्रयास प्रमुख रूप से रहे हैं। चुनाव से पूर्व मनोहर लाल और नायब सिंह सैनी सरकार के कार्यकाल में भी इसके लिए कई मुलाकातें की गई। इसे लागू करवाने में कोई ढील न रहने पाए इसके लिए त्रिभाषा हरियाणा हैशटैग की मुहिम के साथ मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को हजारों की संख्या में मेल भी भेजी गई। इसके तहत सरकार से त्रिभाषा को तुरंत प्रभाव से कक्षा नौवीं एवं दसवीं में लागू किए जाने की मांग की गई।
इसी का परिणाम है कि हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग ने आज इस बारे में पत्र जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत हरियाणा में अगले सत्र से छात्रों को सात विषय पढ़ने होंगे। इसमें त्रिभाषा के रूप में हिंदी और अंग्रेजी के साथ तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत, पंजाबी और उर्दू में से एक को पढ़ना होगा। चूंकि हरियाणा में उर्दू एक दो जिलों में ही प्रभावी है। इसी तरह पंजाबी भी पंजाब के साथ लगते जिलों में ही ज्यादा बोली जाती है। ऐसे में इन सब को छोड़कर शेष जगह छात्रों के लिए संस्कृत बेहतर विकल्प होगा। ऐसे में त्रिभाषा सूत्र के लागू होने का सबसे ज्यादा फायदा संस्कृत को ही होगा। स्कूलों में जब संस्कृत के छात्र बढ़ेंगे तो संस्कृत अध्यापकों के नए पद भी सृजित होंगे। कठोपनिषद में कहा गया है,
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
क्षुरासन्नधारा निशिता दुरत्यद्दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति॥”
अर्थात् उठो, जागो, वरिष्ठ पुरुषों को पाकर उनसे बोध प्राप्त करो। छुरी की तीक्ष्ण धार पर चलकर उसे पार करने के समान दुर्गम है यह पथ – ऐसा ऋषिगण कहते हैं ।‘
लेखक;
सुशील कुमार ‘नवीन‘, हिसार
96717 26237
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार है। दो बार अकादमी सम्मान से भी सम्मानित हैं।