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4 May 2024 · 1 min read

तुम

तुम जीवन के ढाई आखर
तुम जीवन की गाथा हो
तुम बिन जीवन मरुभूमि
तुम जीवन का सावन हो
तुमसे मोर बना सतरंगी
तुमसे कोयल गाती है
तुमसे चकोर निहारे चंदा
तुमसे नदिया लहराती है
मैं क्षितिज मिलन की आशा करता
संग तुम्हारे गाता हूं
जगत करे सब अपना-अपना
तुम मेरे मनभावन हो
तुम जीवन के ढाई आखर
तुम जीवन की गाथा हो
तुम बिन जीवन मरुभूमि
तुम जीवन का सावन हो।।

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