रचना
भोर सुनहरी
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भोर सुनहरी
नित आती है
आस नई जगा जाती है ।
सूरज की किरणें
प्राण पुष्ट करती हैं
सपने सुहाने बुनती हैं ।
चिड़ियों का कलरव
सिखलाता है
गीत मधुर गाना आता है ।
संघर्षों से डरो न
तम पर वार करो
दुःख भी सहन करो ।
राहों में कांटे
तो फूल भी आएंगे
हृदय प्रफुल्लित करेंगे ।
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक घर तारौली गूजर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश 283111
मो.9627912535