विषय:भारतीय राष्ट्रीय ध्वज।
आधुनिक तकनीक से स्मार्ट खेती
ग़म का दरिया
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की होड़ मची है,
तुम्हारी याद तो मेरे सिरहाने रखें हैं।
पत्थर जैसे दिल से दिल लगाना पड़ता है,
"पानी की हर बूंद और जीवन का हर पल अनमोल है। दोनों को कल के ल
*पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं (गीत)*
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
मंजिल मिले ना मिले लेकिन कोशिश बेमिसाल होनी चाहिए,
सत्यव्रती धर्मज्ञ त्रसित हैं, कुचली जाती उनकी छाती।
बंदिशें इस क़दर रहीं दिल की
तमाम आरजूओं के बीच बस एक तुम्हारी तमन्ना,