गीत- अँधेरे तो परीक्षा के लिए...
हम और आप ऐसे यहां मिल रहें हैं,
बस जला दिया जाता है मोहब्बत में दिल को भी,
ये "परवाह" शब्द वो संजीवनी बूटी है
तुम से नाराज़गी नहीं कोई ।
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जो संतुष्टि दिन हीनों और गौ माता की सेवा करने से मिल सकता है
जनता जाने झूठ है, नेता की हर बात ।
Supernatural Transportation: Analysing the Scientific Evidence of Alleged Phenomena
यह देश भी क्या कोई देश है?
रामसापीर
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
प्रकृति की गोद खेल रहे हैं प्राणी