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9 Jul 2024 · 1 min read

क्यों नहीं आ रहे हो

गीतिका
~~~
कहो सामने क्यों नहीं आ रहे हो।
छुपाकर कहीं कुछ चले जा रहे हो।

जगा स्नेह मन में छुपाना न अच्छा।
स्वयं पर बहुत ज़ुल्म क्यों ढा रहे हो।

बहुत हो गया बोझ जब दूरियों का।
दिए झूठ सबको दिलासा रहे हो।

बताते नहीं वक्त पर राज़ अपने।
मगर कह रहे फिर हमारा रहे हो।

रहे टूटते अनगिनत नित्य फिर क्यों।
दिखाते गगन में सितारा रहे हो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य,०९/०७/२०२४

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