जन्में भारत भूमि पर, नारी से भगवान।

जन्में भारत भूमि पर, नारी से भगवान।
स्वादनीय आचार ले, भूल रही पहचान।।
देहवान में लिप्त हो, कुंठित करते ज्ञान।
देहपात निश्चित रहे,भूले सकल जहान।।
पुरुष सदा ही ज्ञान है, नारी शक्ति समान।
भटक रहे दोनों जहाँ,देहयष्टि रख ध्यान।।
संजय निराला