"दयानत" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सदविचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक गल्ती ने सांवरे की, नजरों से गिरा दिया।
काम, क्रोध, मोह साथ ना छोड़े
संस्मरण:भगवान स्वरूप सक्सेना "मुसाफिर"
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
रास्तों को भी गुमनाम राहों का पता नहीं था, फिर भी...
नदी से तकल्लुफ़ ना करो वो तो हमेशा प्यास बुझाती है।
क्या इश्क करना है जालिम ज़माने से ,
पं. टोटकेश्वर (टोने वाले) को इत्ती सी अक़्क़ल तो होनी चाहिए कि
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
कौन कहता है सुंदर नहीं हो तुम,