यह हरकत तुम्हारी

यह हरकत तुम्हारी, आग तन में लगाये।
यह शरारत तुम्हारी, प्यास मन की जगाये।।
करो मत तुम शरारत ऐसी।
अच्छी नहीं यह आदत ऐसी।।
यह हरकत तुम्हारी———————-।।
तू कली है, मैं हूँ भंवरा, तू मधु है, मैं हूँ प्यासा।
बहको नहीं तुम इतना, तोड़ो नहीं तुम मेरी आशा।।
यह चंचलता तुम्हारी, हाय मेरी दिल से बुलाये।
यह हरकत तुम्हारी———————-।।
चूमने दो इन लबों को, और हटाओ तुम यह आँचल।
प्यास मन की जो बुझेगी, हुस्न तेरा भी है कुछ पागल।।
ये काली जुल्फें तुम्हारी, आशियाना दिल का सजाये।
यह हरकत तुम्हारी———————-।।
कुछ नहीं होश हमको मस्ती में, फूल यहाँ जो खिल रहे हैं।
दिल को मजा बहुत आ रहा है, दो बदन जो मिल रहे हैं।।
यह नशीले नयन तुम्हारे, नशा दीवानगी का बढ़ाये।
यह हरकत तुम्हारी———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)