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18 Mar 2024 · 1 min read

अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह

अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
गु़रूर खाक़ हो जाएंगे एक रोज़ बनराई की तरह

मजार में इतर चढ़ा या मस्जिद में फातिहा पढ़
मंदिर में दिया जला हर रोज रौशनाई की तरह

रूख़ पर नकाब चढ़ा या‌ किरदार पर ओढ़ा परदे
दाग़ तो फिर भी उभर ही आएंगे, झांई की तरह

सात समंदर पार हो या हो ठिकाना तहखाने में
बद्दुआ हमेशा पीछा करती है परछाईं की तरह

करके काम बुराई का सुकून किसे मिल पाता है
अच्छाई सदा साथ चलती है, रहनुमाई की तरह

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