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3 Apr 2024 · 1 min read

जब दिल से दिल ही मिला नहीं,

ख़ैर जब दिल से ही दिल मिला नहीं,
फिर तो कोई शिकवा नहीं गिला नहीं।

उनकी फितरत का पैमाना ही रंज था,
पर नादानी में कुछ पता चला नहीं।

नए ज़माने में सबकी प्यार की राहें एक थी,
मुद्दतें कोशिश की पर जाकर वापस लौटे;
करते भी तो क्या? ये हुनर सबको मिला नहीं।

ग़म के समंदर में खुशियों के कीमती मोती हैं,
पर मिले उसी को जिसे ग़म से कोई दगा नहीं।

देखते है आईना हम भी रोज़ संवरने को,
पर बेख़बर वहीं जो खुद से कभी मिला नहीं।

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