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27 Jul 2023 · 1 min read

गुरु पूर्णिमा

जहाँ जो ज्ञान मिल जाता उसे श्रद्धा से लेती हूँ
नदी सी ज़िन्दगी में ऐसे अपनी नाव खेती हूँ
किसी को मैं नहीं छोटा बड़ा ही मानती देखो
सिखाता जो मुझे उसको गुरु का मान देती हूँ

हमने खुद को महकाया है , सुन्दर भावों के चंदन से
खूब सजाया है हिंदी को,मिलकर इसके स्वर व्यंजन से
बिन सोचे समझे ही हमने ,पाप अनेकों कर डाले हैं
लेकिन पुण्यों का फल पाया, हमने केवल गुरु वंदन से

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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