चलो ना उनके लिए...
सब एक से नहीं होते,
कुछ कहते हैं ,अपना दर्द
कुछ मन में ही रख लेते।
चलो ना हम उनकी भी मदद करते हैं,
जो अपना दर्द मन में ही रख लेते हैं।
जो तीक्ष्ण हैं बुद्धिमान है ,
उनकी राहे तो आसान है।
पर उनका क्या जो,
आत्महीनता और कुंठित,
भावनाओं से ग्रसित है।
चलो ना हम उन्हें कुंठाओं से मुक्त करते हैं,
जो अपना दर्द किसी से नहीं कहते हैं।।
जो घबराते हैं लोगों की भीड़ से,
जो रहते हैं हर वक्त भयभीत से,
जिन्हें लगता है डर जमाने से,
जो ना कहते अपनी बात भी किसी से,
चलो ना हम उनकी भी बात सुनते हैं।
हम उनके लिए भी कुछ करते हैं।
जिन्हें लगता है डर भी पढ़ाई से,
जो डरते हैं बेवजह की लड़ाई से,
जो छुपते हैं हर वक्त जमाने से,
जिन्हें लगता है डर रुसवाई से,
चलो ना हम उनका दर्द भी पढ़ लेते हैं ,
उनके लिए कुछ करते हैं।
सब तो होते नहीं है एक से,
वे भीड़ में भी रहते अकेले से ,
अपनी कमियां छुपाते हैं वह सबसे ,
उन्हें लगता है डर जग हंसाई से,
चलो ना हम उनको भी राह दिखाते हैं,
हंसकर जीना हम उन्हें सिखाते हैं ।
हम उनके लिए भी कुछ करते हैं।
चलो हम लें एक संकल्प,
पलटें उनका भी कायाकल्प,
जिनके पास ना कोई विकल्प,
हम उन्हें भी दे एक नया कल,
उठाकर उनको भी गले लगाते हैं ।
जमाने की भीड़ में चलना सीखाते हैं ।
उनको भी हम निर्भीक बनाते हैं।
चलो हम उनकी पीठ थपथपाते हैं ।
हम उनका भी हौसला बढ़ाते हैं ।
चलो ना हम उनके लिए भी कुछ करते हैं।।
मेरे सभी भीरू विद्यार्थियों को समर्पित ♥️