*हम अनुरागी अंतर्मन से, हिंदी की मीठी बोली के (राधेश्यामी छं

हम अनुरागी अंतर्मन से, हिंदी की मीठी बोली के (राधेश्यामी छंद)
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1)
हम अनुरागी अंतर्मन से, हिंदी की मीठी बोली के।
हम भक्त-मंडली के सदस्य, हिंदी-अभिमानी टोली के।।
2)
हम राष्ट्रप्रेम-परिभाषा का, मतलब हिंदी में गाते हैं।
हम राष्ट्र-एकता का प्रवाह, पावन हिंदी बतलाते हैं।।
3)
जिसमें भारत से प्यार भरा, वह हिंदी अर्थ हमारा है।
हिंदी का अर्थ यही असली, भारत का कण-कण प्यारा है।।
4)
यह हिंदी है जिसमें हमने, गंगा महात्म्य को गाया है।
यह हिंदी है मन महाकुंभ, जिसमें आ खूब नहाया है।।
5)
यह हिंदी है जिसमें हमने, भागीरथ की गाथा गाई।
यह हिंदी है बतलाते हम, जिसमें गंगा कैसे आई।।
6)
हिंदी का अर्थ हिमालय शुभ, भारत माता का प्रहरी है।
हिंदी का अर्थ सुरक्षित हो, यह हिंद भावना गहरी है।।
7)
इस हिंदी में कवि तुलसी ने, श्री रामचरित लिख डाला है।
यह रामचरितमानस गाता, घर-घर हर हिंदी वाला है।।
8)
हिंदी ने मीरा सूरदास, निर्मल लेखन रसखान दिया।
यह हिंदी है यमुना जल का, जिसने पावन रस-पान किया।।
9)
हम तुतला कर भी जब बोले, भारत को माता कहते हैं।
इस लोकतंत्र में जन-जन को, हम भाग्य-विधाता कहते हैं।।
10)
हम गली-मोहल्ले में रहते, आपस में प्यार बढ़ाते हैं।
हम जाति-पंथ के भेद रहित, निश्छल हो घुल-मिल जाते हैं।।
11)
हम में जाने कितनी बोली, हमने सबको अपनाया है।
सच पूछो तो हम में तमाम, भारत का भाव समाया है।।
12)
हम माता और पिता ताऊ, चाचा संबंध निभाते हैं।
हम हिंदी में पत्नी विवाह, छह-छह ऋतुओं को गाते हैं।।
13)
हम कैसे गाते हैं हिंदी, गायिका लता बतलाती हैं।
हिंदी भाषा का मीठापन, झरना वह एक बहाती हैं।।
14)
यह हिंदी आर्य समाज गुरू, ऋषि दयानंद जी गाते हैं।
वह गुजराती हैं पर हिंदी, भारत-भाषा बतलाते हैं।।
15)
हम अंदर-बाहर एक रूप, जो लिखते हैं वह पढ़ते हैं।
हम एक बड़ा दिल रखते हैं, वसुधा का मानव गढ़ते हैं।।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451