आलेख लिख रही कई

आलेख लिख रही कई
नित चैतन्य चेतना
मूर्त को जीवंत करती
एक कवि की कल्पना
गागर में सागर को भरती
शब्दों की परिकल्पना
भाव भीनी भर रही
कुछ कह रही संवेदना
मुक्ति 🖋️
आलेख लिख रही कई
नित चैतन्य चेतना
मूर्त को जीवंत करती
एक कवि की कल्पना
गागर में सागर को भरती
शब्दों की परिकल्पना
भाव भीनी भर रही
कुछ कह रही संवेदना
मुक्ति 🖋️