Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2024 · 1 min read

सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई

सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई सुख नहीं है; लोभ के समान कोई रोग नहीं है, और दया के समान कोई गुण नहीं है, जब जीवन में चीजें आसान होना बंद हो जाएं, तो समझ लीजिए कि आप सही राह पर हैं, सफलता अंतिम नहीं है, असफलता घातक नहीं है, यह जारी रखने का साहस है जो मायने रखता है…🙏🏃🏻चलते रहिए। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।। विश्व का कल्याण हो। सुरक्षित रहिए, प्रणाम, नमस्कार, वंदेमातरम् … भारत माता की जय 🚭‼️

1 Like · 128 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ललकार भारद्वाज
View all

You may also like these posts

3386⚘ *पूर्णिका* ⚘
3386⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
सच की मिर्ची
सच की मिर्ची
Dr MusafiR BaithA
पर्व दशहरा आ गया
पर्व दशहरा आ गया
Dr Archana Gupta
सेब की महिमा (बाल कविता) (29)
सेब की महिमा (बाल कविता) (29)
Mangu singh
अच्छा लगता है!
अच्छा लगता है!
Kirtika Namdev
दिल टूट गईल
दिल टूट गईल
Shekhar Chandra Mitra
हिंदी भाषा
हिंदी भाषा
Kanchan verma
तुम कहो कोई प्रेम कविता
तुम कहो कोई प्रेम कविता
Surinder blackpen
"18वीं सरकार के शपथ-समारोह से चीन-पाक को दूर रखने के निर्णय
*प्रणय प्रभात*
अभी जो माहौल चल रहा है
अभी जो माहौल चल रहा है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
*बचपन*
*बचपन*
Pallavi Mishra
पत्ते
पत्ते
Uttirna Dhar
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
इंजी. संजय श्रीवास्तव
साहित्य में बढ़ता व्यवसायीकरण
साहित्य में बढ़ता व्यवसायीकरण
Shashi Mahajan
"लत लगने में"
Dr. Kishan tandon kranti
गुलाब
गुलाब
अनिल मिश्र
*आज बड़े अरसे बाद खुद से मुलाकात हुई हैं ।
*आज बड़े अरसे बाद खुद से मुलाकात हुई हैं ।
अश्विनी (विप्र)
सुंदर है चांद मेरा, छत मेरी अटरिया है,
सुंदर है चांद मेरा, छत मेरी अटरिया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
Manju sagar
यहां बिना कीमत कुछ नहीं मिलता
यहां बिना कीमत कुछ नहीं मिलता
पूर्वार्थ
*वकीलों की वकीलगिरी*
*वकीलों की वकीलगिरी*
Dushyant Kumar
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
कोरोना से रक्षा
कोरोना से रक्षा
ललकार भारद्वाज
सीखो मिलकर रहना
सीखो मिलकर रहना
gurudeenverma198
घर में यदि हम शेर बन के रहते हैं तो बीबी दुर्गा बनकर रहेगी औ
घर में यदि हम शेर बन के रहते हैं तो बीबी दुर्गा बनकर रहेगी औ
Ranjeet kumar patre
किताब के किसी पन्ने में गर दर्दनाक कोई कहानी हो
किताब के किसी पन्ने में गर दर्दनाक कोई कहानी हो
Ajit Kumar "Karn"
अलविदा
अलविदा
Dr fauzia Naseem shad
मौत
मौत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वेला
वेला
Sangeeta Beniwal
Loading...